tag:blogger.com,1999:blog-17543930786440736012024-03-13T04:49:16.628+05:30SANGAMBADRI SANKAR DASHhttp://www.blogger.com/profile/16927627637500476872noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1754393078644073601.post-47303611005751527762009-11-24T00:01:00.002+05:302009-11-24T00:17:49.273+05:30ये जिन्दगी तो हमें जीना हें ना.....वक्त भी कितना अजीब हें ना,<br /><span>कब किस मोड़ पर , </span><br /><span>आप के साथ किया सुलुत होने वाला हें, </span><br /><span>वह ख़ुद आप को ही पता नही होता हें। .......(१ ) </span><br /><span></span><br /><span>वक्त किसी के लिए नही ठहरता हें , </span><br /><span>मंजील किसी को आसानी से नही मिलता हें , </span><br /><span>हर क्वाहीश कभी पूरा नही होता हें , </span><br /><span>फ़िर भी जिन्दगी जीना पड़ता हें । ........(२ ) </span><br /><span></span><br /><span>कियों की, </span><br /><span>हम हारने वालों मैं नही हें , </span><br /><span>हम जिन्दगी से रूठने वालों से नही हें , </span><br /><span>हम कमजोर नही हें , </span><br /><span>हम हालात से बेवस भी नही हें , </span><br /><span>हम तो सिर्फ़ ख़ुद जीते हें , </span><br /><span>और , दुसरे को जीना सिखाते हें । .........(३ ) </span><br /><span></span><br /><span>हम उजालों मैं सपने नही देखते हें , </span><br /><span>हम दुसरे से मदत की आस नही रखते हें , </span><br /><span>हम कभी गरीवी से तंग नही होते हें , </span><br /><span>हम ख़ुद को जिलत महसुश नही करते हें , </span><br /><span>हम कभी नसीब को कुसूरवार भी नही थराते हें , </span><br /><span>कियों की, ये जिन्दगी तो हमें जीना हे ना । .........(४ ) </span>BADRI SANKAR DASHhttp://www.blogger.com/profile/16927627637500476872noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-1754393078644073601.post-20901365247989016472009-11-08T01:30:00.001+05:302009-11-11T06:34:11.014+05:30आख़िर हम इन्सान हें ना ......रेलगाडी की रफ़्तार समय की मशीन की तरह हें ,<br />जो बिना रुके चलता रहता और चलता रहता हें ।......(१)<br /><br />हम भी मुशाफिर हें ,<br />कभी इधर , कभी उधर से ,<br />रेलगाडी सवारी का लुफ्त उठाते हें ।...... (२ )<br /><br />ना खुशी , ना गम ,<br />जिन्दगी की पटरी मैं,<br /><span class="">भटकते भटकते गुम होकर ,</span><br /><span class="">शामिल होते हें , एक अजनवी बनकर । </span><br />रेलगाडी मैं रोज , एसे ही पसिंजर मिल जाते हें ,<br />जो गुम होकर , एक सहर से दुसरे सहर पहंच जाते हें । ......(३ )<br /><span class=""><span class=""></span></span><br /><span class="">ना पता, ना घर , </span><br /><span class="">ये मजबूरी जिन्दगी , </span>ख़ुद को कहाँ से कहाँ तक ले आता हें ।<br /><span class="">जीने के लिए दो वक्ती की रोटी चाहिए , </span><br /><span class="">सोने के लिए विस्त</span>र चाहिए ,<br />आख़िर करे भी किया करे,<br />ख़ुद को तो छोडिये , बचो को तो पालना हें ना । .......(४ )<br /><br />कभी मन्दिर , कभी मस्जीद ,<br />कभी गुरुद्वारा, कभी ट्राफीक सिग्नाल ,<br />पिस्ता हें जिन्दगी ,जीने के लिए,<br /><span class="">आमिर लोगो की झूटे खा कर ।........(५ ) </span><br /><span class=""></span><br /><span class="">एक मुशाफिर कहता हें- </span><br /><span class="">उनको और उनके बचो को देख कर , </span><br />दर्द होता हें मुझे ,<br />सायद मेरे बचे भी , एसे ही जिन्दगी जी पाते । .....(६ )<br /><br />दर्द होता हें मुझे ,<br />कियों की, उनकी खुशी एक तरफ ,<br />मेरे बचों की दुःख एक तरफ,<br /><span class="">रब भी केसे ना इन्साफ करता हें ना । .....(७) </span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span>अमीरों के तरफ खुशी की भरमार ,<br />और , गरिवों की झोली मैं सिर्फ़ गम और गम ।<br />रोज पिस कर , जिन्दगी से रूठ जाता हूँ ,<br />गरीवी से तंग अगया हूँ ,<br />आखिर भगवान् ने, ये जिन्दगी कियों दिया ,<br />हर जगह से किया ठोकर खाने के लिए । .......(८ )<br /><br />ये सोच के विच ,<br />जब मेरे बोचों के तरफ नज़र डालता हूँ ,<br />तब मुझे मजबूर करता हें , जीने के लिए ।<br />वह सिर्फ़....<br /><span class=""></span>उनके खुशियाँ के लिए ,<br /><span class="">उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए , </span><br /><span class="">और , उनके भविष्य के लिए । ......(९ ) </span><br /><span class=""></span><br /><span class="">मुशाफिर फ़िर कहता हें -</span><br /><span class="">अपनी जिमिदारियों को छोड़ नही सकते, </span><br /><span class="">अपनी कर्तब्यों को भूल नही सकते , </span><br /><span class="">आखिर , हम इन्सान हें ना । .......(१०)</span><br /><br /><br /><br /><p><span class=""></span></p><p><span class=""></span></p>BADRI SANKAR DASHhttp://www.blogger.com/profile/16927627637500476872noreply@blogger.com0